नवरात्रि 2023 चौथा दिन: मां कुष्मांडा की पूजा विधि और भोग, जानिए महत्व और कथा

नवरात्रि 2023 चौथा दिन: मां कुष्मांडा की पूजा विधि और भोग, जानिए महत्व और कथा (Navratri 2023 fourth day: Worship method and offering of Maa Kushmanda, know the importance and story)

नवरात्रि 2023 चौथा दिन: मां कुष्मांडा की पूजा विधि और भोग, जानिए महत्व और कथा
नवरात्रि 2023 चौथा दिन: मां कुष्मांडा की पूजा विधि और भोग, जानिए महत्व और कथा

मां कुष्मांडा कौन हैं?

मां कुष्मांडा नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है। माना जाता है कि मां कुष्मांडा की अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इन्हें कुष्मांडा देवी कहा जाता है। कुष्मांडा देवी का वाहन शेर है और उनके हाथों में कमंडल, गदा, चक्र, धनुष, बाण, कमल पुष्प और अक्षमाला है।

मां कुष्मांडा का महत्व

मां कुष्मांडा को आदिशक्ति और सृष्टि की रचयिता माना जाता है। इसलिए इनकी पूजा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। माता कुष्मांडा की पूजा करने से रोग, शोक और कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।

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मां कुष्मांडा की पूजा विधि

मां कुष्मांडा की पूजा करने के लिए सबसे पहले प्रातःकाल उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां कुष्मांडा की प्रतिमा स्थापित करें। मां कुष्मांडा को फूल, माला, फल, मिठाई और धूप-दीप अर्पित करें। इसके बाद मां कुष्मांडा के मंत्रों का जाप करें।

मां कुष्मांडा के मंत्र

  • ॐ देवी कुष्माण्डायै नमः
  • ॐ कुष्माण्डा देव्यै नमः
  • ॐ यः कुष्माण्डे शक्तिं देवीं तं नौ प्रसीदतु ॥

मां कुष्मांडा को भोग

मां कुष्मांडा को कद्दू का हलवा, मालपुआ, खीर, केसर चावल आदि भोग लगाया जाता है। इसके अलावा, उन्हें फल और मिठाई भी अर्पित कर सकते हैं।

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मां कुष्मांडा की कथा

एक बार ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने का विचार किया। लेकिन उनके सामने एक समस्या थी कि वह सृष्टि को धारण कहां करें। तब ब्रह्मा जी ने देवी दुर्गा की प्रार्थना की। देवी दुर्गा ने ब्रह्मा जी की प्रार्थना सुनकर उन्हें अपनी मुस्कान से एक अंड दान किया। ब्रह्मा जी ने इस अंड को स्वीकार कर लिया और उस पर तप करने लगे। तप के बाद अंड फूट गया और उसमें से देवी कुष्मांडा प्रकट हुईं। देवी कुष्मांडा ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना करने में मदद की और ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की।

मां कुष्मांडा की पूजा के लाभ

मां कुष्मांडा की पूजा करने से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  • जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
  • रोग, शोक और कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  • बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है।
  • मन की अशांति दूर होती है।
  • आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मां कुष्मांडा की पूजा करने का सबसे अच्छा समय नवरात्रि के चौथे दिन है। लेकिन आप उन्हें किसी भी दिन, किसी भी समय पूज सकते हैं। मां कुष्मांडा की पूजा करने से आपके जीवन में खुशियां और समृद्धि आएगी।

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