नाग पंचमी 2022 तिथि पूजा शुभ मुहूर्त (Nag Panchami 2022 Date, Puja Path, Spiritual):- हिंदू धर्म के अनुसार, सावन मोहिने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। नाग पंचमी दिन नाग देवता की पूजा करने के साथ सांपों की पूजा विधिवत करती है।
नाग पंचमी 2022 तिथि | Nag Panchami 2022 Date
इस साल की नाग पंचमी 2 अगस्त से 3 अगस्त तक होंगे| किओ की सावन के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि प्रारंभ 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से शुरू और 3 अगस्त को सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक हे | ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि 30 साल में पहली बार नाग पंचमी बहुत ही शुभ शिव योग में मनाई जाएगी|
नाग पंचमी 2022 तिथि पूजा | Nag Panchami 2022 Date Puja Time
नाग पंचमी की पूजा के लिए सिर्फ ढ़ाई घंटे (02 घंटे 42 मिनट) का शुभ मुहूर्त| पूजा के लिए सुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 43 मिनट से 08 बजकर 25 मिनट तक
नाग पंचमी 2022 शुभ मुहूर्त:- (Naag Panchami 2022 Shubh Muhurat)
- सावन मोहिने के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि प्रारंभ- 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से शुरू
- सावन मोहिने के शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि समाप्त- 3 अगस्त को सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक
- पूजा की अवधि – 02 घंटे 42 मिनट
- पूजा की सुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 43 मिनट से 08 बजकर 25 मिनट तक
- शिव योग- 2 अगस्त को शाम 06 बजकर 38 मिनट तक
नाग पंचमी 2022 पूजा विधि | Nag Panchami 2022 Worship Method
जानिए नाग पंचमी पूजा की विधि:-
- नाग पंचमी के ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
- नाग पंचमी के दिन तांबे के लोटे से नाग देवता की मूर्ति को दूध और जल चढ़ाना चाहिए।
- अगर आप चाहे तो चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा मंदिर में रखकर उसका पूजन कर सकते हैं।
- गाय के दूध से स्नान कराएं।
- इसके बाद मूर्ति में गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें।
- हल्दी. चावल, रोली और फूल अर्पित करें।
- मिठाई का भोग लगाएं।
- दीपक और धूप जलाकर नाग देवता की आरती कर लें।
- अंत में नाग पंचमी की कथा का पाठ कर लें।
नाग पंचमी पर 12 नागों की पूजा
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार 12 नागों की पूजा की पूजा किया जाते हे| जो की इन नागों को विशेष रूप से महत्व दिए जाता है। इन नागों के नाम हैं अनंत, वासुकी, शेष, पद्म, कम्बल, कर्कोटक, अश्वतर, धृतराष्ट्र, शङ्खपाल, कालिया, तक्षक और पिङ्गल नाग हैं।
नाग पंचमी पूजा की मंत्र
सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले. ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिनः. ये च वापीतडगेषु तेषु सर्वेषु वै नमः॥